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10 भ्रांतिमान अलंकार-नितान्त सादृश्य के कारण उपमेय में उपमान की भ्रांति ही
भ्रांतिमान अलंकार है। उदाहरण - कहिं वि क वि अरुणकरचरण किय पयडए । भमरगण मिलिवि तहिं गलिगमण रिणवडए ।
-सुदंसणचरिउ 7.18.5-6 अर्थ-कहीं कोई अपने लाल हाथ और पैर प्रकट करने लगी और भ्रमरगण उन्हें
कमल समझकर एकत्र हो पड़ने लगे। व्याख्या-उपर्युक्त पद्यांश में सुन्दरियों के हाथों व पैरों को देखकर भौंरे भ्रम
वश उन्हें कमल समझ रहे हैं अतः यहां भ्रांतिमान अलंकार है।
अपभ्रंश अभ्यास सौरम ]
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