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16. स्रग्विणी छन्द
लक्षण -- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी ) । प्रत्येक चरण में चार रंगण (sis ) और बारह वर्ण होते हैं ।
उदाहरण
रगण रगण रगण रगण
S I SSI SSI
SSIS
के वि
रोमंच - कंचेण
संजुत्ता,
1
2
345 678
9101112
रगण रगण रगण रगण
S 1 SSI SSI SSIS के वि सण्णाह - संबद्ध - संगत्तया 3 4 5 6 7 8 9101112
1 2
रगण
रगण रगण
S 1
SSI SS IS SIS
के वि संगाम- भूमीरसे रत्तया,
2
345 6 7 8 9 101112
रगण
रगण
SIS s 1 सग्गिणी - छद
मग्गेण
1 2 3 4 5 678 9101112
रगण
रगण रगण
ss 1 SSIS
1
- करकंडचरिउ 3.14
अर्थ - कितने ही रोमांचरूपी कंचुक से संयुक्त थे और कितने ही अपने गात्र पर सन्नाह बांधकर तैयार थे । कितने ही संग्रामभूमिरस से रत होकर स्वर्ग पाने के इच्छित मार्ग से आ पहुंचे । इस कडवक की रचना स्रग्विणी छंद में हुई है।
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ]
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संपत्तया 11
17. समानिका छंद
लक्षण - इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी ) । प्रत्येक चरण में क्रमश: रगण ( SIS), जगण ( 15 ), गुरु (S), लघु (1) आते हैं व आठ वर्ण होते हैं ।
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