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अर्थ-तब नगाड़ों पर चोट पड़ी जिससे भुवनतल पूरित हो गया । बाजे बज रहे
हैं और सैन्य सज रहे हैं ।
12.
करमकरभुजा छंद लक्षण- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी) । प्रत्येक चरण में 8 मात्राएं होती
हैं व चरण के अन्त में लघु-गुरु (15) होते हैं । उदाहरणS SIIS SSIIS भीसावणिया, संतावणिया । SSIIS SSIIS विद्दावणिया, सम्मोहणिया ।
-- णायकुमारचरिउ 6.6 अर्थ-भयोत्पादिका, सन्तापिका, विद्रावणि का सम्मोहनिका ।
___13. मदनविलास छंद लक्षण-इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी) । प्रत्येक चरण में 8 मात्राएँ होती
हैं व चरण के अन्त में गुरु-गुरु (55) होते हैं। उदाहरण
।। sssss चंदण -लितं, पंडुरगत्तं ।
। । ।।।। 55 खंधे तिसुत्तं, कयसिर छत्तं ।
-सुदंसणचरिउ 4.1 अर्थ-(कपिल) चन्दन से लिप्त, गौरवर्ण, कंधे पर त्रिसूत्र (जनेऊ) तथा सिर
पर छत्र धारण किए (था)।
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___14 जम्भेटिया छंद . लक्षण- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी) । प्रत्येक चरण में 9 मात्राएं होती
हैं व चरण के अन्त में रगण (15) प्राता है।
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ]
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