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________________ अर्थ - अभिनव, सुन्दर कोमल हाथोंवाली अनंगसरा को वह विद्याधर जबर्दस्ती ले गया | पवन और मन के समान गतिवाले विमान में बैठा हुआ वह देवताओं और दानवों के लिए अजेय था । 3. पादाकुलक छन्द लक्षण – इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी ) । प्रत्येक चरण में सोलह मात्राएं होती हैं और सर्वत्र लघु होता है । उदाहरण #111 !|| ............ 111 U 11 सुरणर-विसहर - वर - खयर-सरणु, कुसुम - सर - पहर-हर - समवसरणु । #1 || ! ||| 1 111 111 || | 11 | | | | | | 111 पइसरइ णिवइ पहु सरइ थुणई, बहु-भव - भवं- कयरय - पडलु धुणइ । - गायकुमारचरिउ 1.11.1 अर्थ - विपुलाचल पर्वत पर पहुंचकर राजा ने तीर्थंकर के उस समोसरण में प्रवेश किया जहां देव, मनुष्य, नाग और विद्याधर विराजमान थे और जो कामदेव के प्रहारों से बचानेवाला था । वहां पहुंचकर राजा श्रेणिक ने महावीर प्रभु को स्मरण करते हुए उनकी स्तुति की और उसके द्वारा अपने जन्म जन्मान्तर के कर्मों की धूलि को उन्होंने झाड़ डाला । 4. वदनक छन्द - लक्षण – इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी) । प्रत्येक चरण में सोलह मात्राएं होती हैं और चरण के ग्रन्त में दो मात्राएं लघु ( 11 ) होती हैं । उदाहरण - लघु लघु लघु-लघु S S 111 S T S S 11 "I SS I i ऽ । । ऽ ।। रामे जणणि जं जे ग्राउच्छिय, णिरु णिच्चेयण तक्खणे मुच्छिय IISSII AT ।। ऽ ।। ऽ । SI 11 SI Iऽ ।। चमरुक्खेवे हिँ किय पडिवायण, दुक्खु दुक्खु पुणु जाय सचेयण | अपभ्रंश अभ्यास सौरभ Jain Education International } * For Private & Personal Use Only - पउमचरिउ 23.4 [ 195 www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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