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कहेइ
नरिद
=कहता है =मेरी -राजा के =मुख के -दर्शन की -इच्छा
मुह दसण
इच्छा अस्थि तया
तब
सो
नरिंद समीवं पाणीउ नरिंदु
(कह) व 3/1 सक (अम्ह) 6/1 स (नरिंद) 6/1 (मुह) 6/1 (दसण) 6/1 (इच्छा ) 1/1 (अस) व 3/1 अक अव्यय (त) 1/1 स (नरिंद)6/1 (समीव) 1/1 वि (प्राणीम) भूक 1/I अनि (नरिंद) 1/1 (त) 2/1 स (पुच्छ) व 3/1 सक अव्यय (मागमरण) 4/1 (कि) 1/1 स (पोयण) 1/1 (त) 1/1 स (कह) व 3/1 सक (नरिंद) 8/1 (पच्चूस) 7/1
-वह
राजा के =समीप =लाया गया
=राजा ने
पुच्छ
एत्थु
आगमण
कि
-उसको =पूछता है (पूछा) =यहाँ =पाने का -क्या -प्रयोजन =वह (उसने) =कहता है (कहा) =हे राजा -प्रात:काल में
पोयणु
कहेइ हे नरिंदु पच्चूसे
नोट-1. प्रयोजन के साथ चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है ।
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[ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ
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