________________
अमंगलिय पुरिसहो कहा।
व्याकरणिक विश्लेषण
=अमांगलिक =पुरुष की
=कथा
अमंगलिय पुरिसहो कहा एक्कहिं णयरि एक्कु अमंगलिउ
-एक
=नगर में -एक =अमांगलिक =मूर्ख =पुरुष -था
पुरिसु
आसि
-
व
(अमंगलिय) 6/1 वि (पुरिस) 6/1 (कहा) 1/1 (एक्क) 7/1 सवि (णयर) 7/1 (एक्क) 1/1 सवि (अमंगलिय) 1/1 वि (मुद्ध) 1/1 वि (पुरिस) 1/1 (प्रस) भूत 3/1 अक (त) 1/1 स (एरिस) 1/I वि (अस) व 3/1 प्रक (ज) 1/1 स (क) 1/1 स
अव्यय (पभाय) 7/1 (त) 6/1 स (मुह) 2/1 (पास) व 3/1 सक (त) 1/1 स (भोयण) 2/1
एरिसु
अत्थि
पमाये
=ऐसा =है (था) =जो =कोई =भी =प्रातःकाल/प्रभात में =उसके =मुख को =देखता है -वह =भोजन
तहो
मुह पासेइ सो भोयणु
174 ]
[ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org