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___ 3. तं णिसुणेवि वलेग पजम्पिउ, भरहहो सयलु वि रज्जु समप्पिउ । (त) 2/1 स
उसको रिणसुरणेवि (णिसुण + एवि) संकृ
सुनकर वलेण (वल) 3/1
बलदेव के द्वारा पजम्पिउ
(पजम्प→पजम्पिन) भूकृ 1/1 कहा गया भरहहो (भरह) 4/1
भरत के लिए सयलु (सयल) 1/1 वि
सम्पूर्ण वि
अव्यय (रज्ज) 1/1
राज्य समपिउ (समप्प→समप्पिस) भूकृ 1/1 दे दिया गया है
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ]
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