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________________ अव्यय विणु क्रिया विशेषण अवसें भूतकालिक कृदन्त अनियमित मुक्कु कर्मवाच्य अनियमित लगभइ अव्यय (अवस) 3/1 क्रिवि (मुक्क) भूकृ 1/1 अनि (लगभइ) व कर्म 3/1 सक अनि 1 तेरण भी एम उदाहरण पणवेप्पिणु तेण वि वृत्तु एम, गय दियहा जोवण ल्हसिउ देव । पणवेप्पिणु (पणव+एप्पिणु) संकृ प्रणाम करके (त) 3/1 स उसके द्वारा अव्यय वृत्त (वुत्त) भूकृ 1/1 अनि कहा गया अव्यय इस प्रकार गय (गय) भूकृ 1/2 अनि चले गये दियहा (दियह) 1/2 दिन जोवणु (जोव्वण) 1/1 यौवन ल्हसिउ (ल्हस) भूकृ 1/1 खिसक गया (देव) 8/1 हे देव दाणु कुपत्तहं दोसडइ बोल्लिज्जइ ण हु भंति । दाण (दाण) 1/1 दान कुपत्तहं (कुपत्त) 4/2 कुपात्रों के लिए दोसड (दोस+अड) 1/1 'अड' स्वा. दूषण अव्यय बोल्लिज्जइ (बोल्ल) व कर्म 3/1 सक कहा जाता है अव्यय नहीं अव्यय निश्चय ही (मंति) 11 भ्रान्ति देव अंति 170 ] . [ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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