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1/1 अक या सक-उत्तम पुरुष/एकवचन 1/2 अक या सक-उत्तम पुरुष/बहुवचन 2/1 अक या सक-मध्यम पुरुष/एकवचन 2/2 अक या सक-मध्यम पुरुष बहुवचन 3/1 प्रक या सक-अन्य पुरुष/एक वचन २/2 प्रक या सक-अन्य पुरुष/बहुवचन 1/1प्रथमा/एकवचन 1/2 - प्रथमा/बहुवचन 2/1 -द्वितीया/एकवचन 2/2- द्वितीया/बहुवचन 3/1 तृतीया/एकवचन
3/2-तृतीया/बहुवचन 4/1-चतुर्थी/एकवचन 4/2--चतुर्थी/बहुवचन 5/1--पंचमी/एकवचन 5/2-पंचमी/बहुवचन 6/1-षष्ठी/एकवचन 6/2-षष्ठी/बहुवचन 7/1-सप्तमी/एकवचन 7/2-सप्तमी/बहुवचन 8/1-सम्बोधन/एकवचन 8/2-सम्बोधन/बहुवचन
व्याकरणिक विश्लेषण-पद्धति संज्ञा
नरिंदसु सर्वनाम
तेण सर्वनाम विशेषण
सव्वु क्रिया
होस सम्बन्धक कृदन्त
णिसुणेवि हेत्वर्थक कृदन्त
हसरण वर्तमानकालिक कृदन्त जोयंतु भूतकालिक कृदन्त
मारिउ विशेषण
समग्गल भाववाच्य
ण च्चिज्जइ कर्मवाच्य
विल सिज्जइ प्रेरणार्थक
दरिसावमि स्वार्थिक प्रत्यय
जंबूउ
(नरिंद) 4/1 (त) 3/1 स (सव्व) 2/1 सवि (हो) भवि. 3/1 अक (णिसुण + एवि) संकृ (हस+अण) हेक (जोय-+न्त) वकृ I/1 (मार-मारित्र) भूकृ 1/1 (समग्गल) 2/1 वि (णच्च+ इज्ज) व भाव 3/1 अक (विलस+इज्ज) व कर्म 3/| सक (दरिस+प्राव) प्रे व 1/1 सक (जंबूअ) 1/1 'अ' स्वार्थिक
अपभ्रंश अभ्यास सौरम ]
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