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अभ्यास-46
अपभ्रंश भाषा को अच्छी तरह समझने के लिए वाक्य में निहित प्रत्येक पद जैसे-संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, कृदन्त प्रादि का व्याकरणिकरूप से विश्लेषण करने का ज्ञान होना अति आवश्यक है।
___ इसके लिए प्रत्येक पद की व्याकरणिक विश्लेषण-पद्धति तथा कुछ वाक्यों का व्याकरणिक विश्लेषण उदाहरणस्वरूप दिया जा रहा है ।
संकेत-सूची श्रक -अकर्मक क्रिया अनि -अनियमित प्राज्ञा -प्राज्ञा कर्म -कर्मवाच्य क्रिविन क्रिया विशेषण अव्यय प्रे -प्रेरणार्थक क्रिया भवि -भविष्यत्काल भाव -भाववाच्य भूक -भूतकालिक कृदन्त व -वर्तमानकाल वकृ -वर्तमान कृदन्त वि -विशेषण विधि -विधि विधिक -विधिकृदन्त स -सर्वनाम संकृ - सम्बन्धक कृदन्त सक -सकर्मक क्रिया। सवि -सर्वनाम विश्लेषण स्त्रो - स्त्रीलिंग हेकृ - हेत्वर्थक कृदन्त
•( ) -इस प्रकार के कोष्ठक में मूल
शब्द रखा गया है। .(()+()+ ( )... ] इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर+चिह्न शब्दों में सन्धि का द्योतक है। यहां अन्दर के कोष्ठकों में मूलशब्द ही रखे गए हैं। • ()- ( ) - ( )... ] इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर '-' चिह्न समास का द्योतक है। [[( )-()-( )] वि] जहां समस्तपद विशेषण का कार्य करता है वहां इस प्रकार के कोष्ठक का प्रयोग किया गया है। 'जहां कोष्ठक के बाहर केवल संख्या (जैसे 1/1, 2/1 आदि) ही लिखी हैं वहां उस कोष्ठक के अन्दर का शब्द 'संज्ञा' है । •जहां कर्मवाच्य कृदन्त आदि अपभ्रश के नियमानुसार नहीं बने हैं वहां कोष्ठक के बाहर नि' भी लिखा गया है।
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[ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ
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