________________
अभ्यास-41
(क) निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए
1. रघुनन्दन के द्वारा सीता का सतीत्व जाना गया । 2. वह हरिवंश में उत्पन्न हुई। 3. उसके द्वारा अग्नि जलाई गयी। 4. सीता पुष्पक विमान पर चढ़ी। 5. चार सागरों के मध्य में पृथ्वी स्थित है। 6. उसके द्वारा तृप्ति की जाती है। 7. वहीं जीते हुए मनुष्य भी काट दिए जाते हैं। 8. सतीत्व के गर्व के कारण सीता नहीं डरती। 9. मनुष्य मरती हुई स्त्री के द्वारा भी विश्वास किए जाते हैं । 10. घास-फूस को बहाती हुई नर्मदा का जल समुद्र में गिरा। 11. समुद्र क्षार को देता हुआ नहीं थकता । 12. किसी जन के द्वारा कुत्ता आदर नहीं दिया जाता है । 13. वह गंगा में नहलाया गया। 14. चन्द्रमा से उत्पन्न प्रमा निर्मल होती है। 15. काले मेघ से उत्पन्न बिजली उज्ज्वल होती है । 16. अपूज्य पत्थर किसी के द्वारा भी नहीं पूजा जाता है। 17. पत्थर की प्रतिमा चन्दन से लीपी जाती है । 18. कीचड़ में उत्पन्न कमल की माला जिनेन्द्र के चढ़ी। 19. मेरे द्वारा सतीत्व की पताका आज भी ऊंची की गई है।
उदाहरणरघुनन्दन के दारा सीता का सतीत्व जाना गया=रहुणन्दणेण सीयाहे सइत्तणु
जारिणउ।
नोट--1. इस अभ्यास-41 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश काव्य सौरभ' के पाठ 5 .... का अध्ययन कीजिए ।
2. इस अभ्यास के संज्ञा शब्दों के लिंग शब्दकोश से ज्ञात कीजिए।
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ।
[ 157
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org