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19. उत्तमहो एउ कि संभवइ । (15.7 प.च.)
-उत्तम (व्यक्ति) के लिए क्या यह संभव है ?
उत्तम (वि.)
20. सुरवइ धरणउ........ (16.10 प च.)
-इन्द्र धन्य है।
सुरवइ (पु.), धण्ण (वि.)
21. चल लच्छि मणूसहो........ (16.10 प.च.)
-मनुष्य की लक्ष्मी चंचल (होती है)।
लच्छि (स्त्री), चल→चला (वि.)
22. भीसण-रयरिणहिं भीसण अडइ । (19.3 प.च.) -भीषण रात में भयानक जंगल (था)।
अडइ (स्त्री.);
भीसण→भीसणा (वि.) 23. जिह वणे भमियउ एक्कलियउ । (19.18 प.च.) -जिस प्रकार (वे) वन में प्रकली घूमी।
एक्कलिय→एक्कलिया (वि.) 24. पण्डुर उ हत्थि पण्डरउ भमरु । (56.8 प.च.) -सफेद हाथी, सफेद भ्रमर (दिखाई दिए)।
हत्षि (पु.-स्त्री.); पण्डुरपण्डुरा (वि.)
भमर (पु); पण्डुर (वि.) 25. सव्वालङ्कार पवित्त णारि । (56.8 प.च.) -सर्व अलंकारवाली पवित्र नारी (दिखाई दी)।
णारी (स्त्री.) पवित्त→पबित्ता (वि.)
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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