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________________ अभ्यास (ख) (1) ऐसा युद्ध कभी नहीं लड़ा गया । (2) वैसे बालक उन्नति करते हैं । (3) उसका घर मेरे घर जैसा है। (4) उसका पुत्र कैसा (किसके समान) है ? (5) तुम्हारे जंसी बुद्धि मेरी नहीं है ।(6) ऐसी वात सुनकर वह प्रसन्न हुआ । (7) कैसे साधनों से शान्ति प्राप्त की जाती है, कहो । (8) वैसे दुःख में धैर्य रखा जाना चाहिए । (9) ऐसे व्यक्ति का नाम मत लो। (10) कैसे उद्यम से कोई सफल होता है ? (11) तुम्हारे जैसे गुणवान कितने मनुष्य हैं ? (12) उसका ज्ञान हमारे (मेरे) जैसा है । (13) ऐसे राजा के द्वारा मेरी बात नहीं मानी गई । (14) तुम्हारे जैसों के द्वारा उसका राज्य क्यों लिया गया ? (15) तुम्हारे जैसा कोई विनयवान नहीं है । (16) तुम्हारी जैसी नारियों का सम्मान किया जाना चाहिए। (17) मुनि हमारे जैसों को क्षमा करते हैं । (18) वह हमारी जैसी/मेरी जैसी सामान्य महिला नहीं है। (19) ज्ञान के समान कुछ नहीं है । (20) वहां उस समय कैसा क्षोभ उत्पन्न हुआ ? शब्दाथ (8) धैर्य धीर (न) । (16) सम्मान=संमाण । (18) सामान्य सामण्ण । (20) क्षोभ खोह; उत्पन्न हुमा-जाय। 16 ] [ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002695
Book TitlePraudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages202
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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