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11. एउ वोल्लिउ कवणे कारणेण । (71 17 प.च.)
-किस कारण से यह बोला गया ? 12. अम्हहुँ काइँ कियउ परमेसर । (2.14 प.च.)
-हे परमेश्वर ! हमारे लिए क्या किया गया है ? 13. काई बहुत्तेण पुणरुत्तेण । (14.12 प.च.)
-बहुत पुनरुक्ति से क्या ? 14. तो उत्तरु काई देमि जगहो। (19.1 प च.)
-तो लोगों को (मैं) क्या उत्तर दंगी ? 15. काई करेसहं । (72.6 प.च.)
-(हम) क्या करेंगे ? 16. एत्तियहँ मज्झ का बुद्धि कासु । को वलहो भिच्चु को रावणासु । (48.15
प.च.) -इतनों के बीच में किसकी क्या बुद्धि है ? कौन राम का दास है ? कौन
रावण का? 17. सुणे सेणिय कि बहु-वित्थरेण । (1.11 प च.)
हे श्रेणिक ! सुनो, बहुत विस्तार से क्या ? 18. कि वहु-चविएण । (25.11 प.च.)
-बहुत कहने से क्या (लाभ)? 19. किं भामण्डलेण कि रामें । (21.12 प.च.).
-भामण्डल से क्या (प्रयोजन) ? राम से क्या (प्रयोजन) ?
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[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ
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