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पाठ 9
अभ्यास (क)
(1) हमारे द्वारा कौनसा अपराध किया गया, यह (इसको) हम नहीं जानते हैं । (2) जिस प्रकार संध्या के द्वारा यह कमल-वन नष्ट कर दिया जाता है, उसी प्रकार बुढ़ापे के द्वारा यौवन नष्ट कर दिया जाता है । (3) यह माला किसके लिए है ? (4) यह बाला गाती है, बजाती है और नाचती है । (5) ये महिलाएं आभूषण धारण करती हैं। (6) ये मुनि व्रत पालते हैं। (7) ये कमल खिले । (8) जो मनुष्य थकता है, वह सोता है । (9) वे नारियां सपरिवार वहां गईं । (10) वे उपकार करके प्रसन्न हुए। (11) वे चित्र सुन्दर हैं । (12) वह जो कथाएं (जिन कथाओं को) कहती है, उनको मैं सुनता हूँ। (13) तुम जिन फलों को खाते हो, वे फल मधुर हैं। (14) जो फल मधुर हैं, तुम उनको खरीदो। (15) वह राजा तीर्थंकर की वन्दना के लिए वहां गया । (16) वह लता शोमती है। (17) तुम कवि होवोगे, इसमें क्या सन्देह है ? (18) तुम किस बालक को बुलाते हो ? (19) वह किन गुफाओं को जानता है ? (20) तुम किन कार्यों को करते हो ? (21) किसके द्वारा वीणा बजाई गई ? (22) किनके द्वारा सुन्दर वाद्य बजाये गये ? (23) कल किन कन्याओं की परीक्षा होगी ? (24) वह किसका पुत्र है ? (25) जिस माता का पुत्र उन्नति करता है, वह प्रसन्न होती है । (26) तुम्हारी भक्ति किसमें है ? (27) जिसमें तुम्हारी भक्ति है, उसमें मेरी भक्ति है । (28) किस पेड़ से पत्ता गिरता है ? (29) उससे क्या (लाभ) (है) ? (30) इनके साथ तुम जानो।
शब्दार्थ
(1) अपराध-प्रवराह (पु.)। (2) कमल-बन-कमल-वण (नपु.); नष्ट करना=घाय/प्र; संध्या-संज्झा बुढापा=जरा । (4) बजाना=वाय । (5) प्राभूषण=आहरण (पु., नपु.);धारण करना=धार । (6) व्रत=वय (पु.,नपु)। (10) उपकार करना=उवयर । (15) वन्दना, प्रणाम=वन्दण (नपु.)।(22) वाद्य= वज्ज; सुन्दरमणोहर । (25) उन्नति=उण्णइ ।
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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