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________________ पहिला / पहिलारी / पढमा बोया तइया चउथी पंचमी छट्ठी सत्तमी श्रट्ठमी वमी संकलित वाक्य प्रयोग 1. पहिलउ एउ ताम वुज्झेव्वउ | जीव दया- वरेण होएब्वउ । (54.15 प.च ) तब पहला (धर्म) यह समझना चाहिए । श्रेष्ठतम जीव दया हुई जानी चाहिए | एहारहमी सोलहमी बारहमी सत्तारहमी तेरहमी प्रट्ठारहमी चउदहमी एक्कुरणवीसमी पणारहमी बीसमी दहमी इसी प्रकार अन्य संख्याएं समझी जानी चाहिए । 2. वीयउ मद्दवतु दरिसेव्बउ । तइयउ उज्जय-चित्तु करेव्व । (54 15 पच.) - दूसरी (बात) मार्दवता दिखाई जानी चाहिए। तीसरा सरल चित्त बनाया जाना चाहिए | 54 3. चउथउ पुणु लाहवेण जिबेव्वउ । पञ्चमउ वि तव चरणु चरेव्वउ । (54.15 प. च.) - चौथा (धर्म) फिर लाघव से जिया जाना चाहिए। और पांचवां (धर्म) तपश्चरण किया जाना चाहिए । 4. छट्ठ उ संजम - वउ पालेब्वउ । सत्तमु किम्पि णाहिँ मग्गेव्वउ । (54.14 प.च.) - छठा (धर्म) संयम व्रत पाला जाना चाहिए । सातवां कुछ भी नहीं मांगा जाना चाहिए । 5. अट्ठमु वम्मचेरु रक्स्लेव्वउ | गवमउ सच्च - वयणु वोल्लेव्वउ । (54.15 प. प.) - प्राठवाँ (धर्म) ब्रह्मचर्य रखा जाना चाहिए । नवां सत्य वचन बोला जाना चाहिए । 1 6. दसमउ मणे परिचाउ करेव्वउ | एहु दस भेउ धम्मु जाणेव्वउ । (54.15 प.च.) - दसवां (धर्म) मन में त्याग किया जाना चाहिए । वह दस भेदवाला धर्म समझा जाना चाहिए । Jain Education International [ प्रौढ प्रपभ्रंश रचना सौरम For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002695
Book TitlePraudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages202
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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