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________________ पाठ 5 अभ्यास निम्नलिखित वाक्यों का अपभ्रंश में अनुवाद कीजिए 1. श्रेणिक नाम का राजा राजगृह नगर में रहता था । 2. क्या तुम्हारे द्वारा परमेश्वर का नाम लिया जाता है ? 3. जिन-शासन में राम-कथा किस प्रकार कही गई है, बताइए । 4. हंसकर उसके द्वारा इस प्रकार कहा गया। 5. तुम्हारा पुत्र यहां त्रिभुवन-तिलक होगा। 6. इन्द्र ने तीन बार उसकी प्रदक्षिणा की। 7. फिर उसने जिनेन्द्र की वन्दना प्रारम्भ की। 8. हम भरत-नरेन्द्र को कल क्या जवाब देंगे ? 9. वे विमानों से वहां पहुंचे जहां समवशरण में जिन थे । 10. चक्ररत्न ने नगर में प्रवेश नहीं किया, जिस प्रकार अज्ञानी में सुकवि की वाणी प्रवेश नहीं करती है । 11. मैंने उसके साथ अप्रिय नहीं किया । 12. मैं उसके पास नहीं जाता हूँ। 13. उसको सुनकर राजा शीघ्र आग-बबूला हो गया । 14. जो तीनों युद्धों को प्राज जीतता है, उसका ही राज्य होगा। 15. उनके द्वारा शीघ्र दृष्टि-युद्ध प्रारम्भ किया गया। 16. जब भरत दृष्टि-युद्ध जीतने के लिए समर्थ नहीं हुआ तब तुरन्त जल-युद्ध प्रारम्भ किया गया। यदि मनुष्य में धैर्य होता है तो उसके पास से लक्ष्मी, कीर्ति नहीं हटती है । 18. वहां सब ही बन्धुजन बुलवाये गए तब कन्या के साथ पाणिग्रहण किया 17. गया। 32 ] [ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002695
Book TitlePraudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages202
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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