________________
8. मारुइ लोलए लङ्क पइट्ठउ । (48.4 प.च.) __ -हनुमान ने लीलापूर्वक लंका में प्रवेश किया। 9. तं पणवहो सई सम्वायरेण जइ इच्छहो भव-मरण-खउ । (87.2 प.च,)
-यदि (तुम) संसार और मरण के नाश की इच्छा करते हो (तो) उसको
पूर्ण पादरपूर्वक सदा प्रणाम करो। 10. जण-विरुद्ध ववहरिउ रिणरारिउ। (76 2 प च)
-(हे भाई) (तुम्हारे द्वारा) पूर्णरूप से जन-विरुद्ध आचरण किया गया । 11. जं दुक्खु दुक्खु संथविउ राउ । पडीवोल्लिउ णिय-धरिणिएं सहाउ ।
(37.6 प च.) -जब बड़ी कठिनाई से राजा आश्वस्त किया गया (तो) निज भार्या द्वारा
भावपूर्वक पूछा गया । 12. तो सहसत्ति पलित्तु विहीसणु । (21.1 प.च.)
-तब विभीषण एकदम (सहसा) क्रोध से आगबबूला हुआ । 13. दाहिणण सुगीउ स-साहणु। (44.6 प.च.)
-सेनासहित सुग्रीव दक्षिण की अोर (गया)।
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
[ 31
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org