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अस्मद्-प्रम्ह से परे सि होने पर (दोनों के स्थान पर) हउ (होता है)। अपभ्रंश में पुल्लिग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में अस्मद्-→प्रम्ह से परे सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) होने पर दोनों के स्थान पर हउं होता है । अम्ह (पु , नपुं., स्त्री) - (अम्ह + सि) = हउँ (प्रथमा एकवचन) जस्-शसोरम्हे अम्हइं 4/376 जस् [ (शसो:) (अम्हे) ] अम्हई [(जस्)-(शस्) 7/2 ] अम्हे (अम्हे) 1/1 अम्हइं (अम्हइं) 1/1 (अस्मद्-→प्रम्ह से परे) जस् और शस् होने पर (दोनों के स्थान पर) अम्हे और प्रम्हइं (होते हैं)। अपभ्रंश में पुल्लिग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में अस्मद्→प्रम्ह से परे जस् (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय) और शस् (द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) होने पर अम्हे और अम्हइं होते हैं। अम्ह (पु., नपुं, स्त्री) - (अम्ह+जस्)=अम्हे, प्रम्हइं (प्रथमा बहुवचन)
___ (अम्ह+शस्)=प्रम्हे, अम्हइं (द्वितीया बहुवचन) 48. टा-ङ्यमा मई 4/377
टा [ (ङि)+(अमा) ] मई [ (टा)-(ङि)-(अम्)3/. ] मई (मई) 1/1 (अस्मद् →प्रम्ह से परे) टा, ङि और प्रम् सहित मई (होता है)। अपभ्रंश में पुल्लिग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में अस्मद्→प्रम्ह से परे टा (तृतीया एकवचन का प्रत्यय), ङि (सप्तमी एकवचन का प्रत्यय) तथा प्रम् (द्वितीया एकवचन का प्रत्यय) सहित मई होता है । अम्ह (पु., नपुं , स्त्री.) - (अम्ह+टा) = मई (तृतीया एकवचन)
(अम्ह+ङि)% मई (सप्तमी एकवचन)
(अम्ह+अम्) मई (द्वितीया एकवचन) 49. अम्हेहि भिसा 4/378
अम्हेहिं (अम्हेहिं) :/ भिस. (भिस्) 3/: (अस्मद्-→अम्ह से परे) भिस् सहित प्रम्हहिं (होता है)।
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[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरम
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