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3. एउ कहिल जलु । ( 68.4 पच. )
- यह जल कहां से प्राप्त किया गया ?
4 वुह - मण्डलु वि चऊहिं तहिति । (2.3 प च ) वहां से चार योजन बुध-मण्डल है ।
5. धूमु कहन्तिउ / कउ उम्रिउ । (4416 हे. प्रा. व्या.) धुत्रां कहां से उठा ?
6. त्यो विचवेष्पिणु सुद्धमइ । हूओ सि एत्थ लंकाहिवइ 11 (6.15 प.च.) - हे शुद्धमति ! वहां से मरकर ही तुम यहां लंकाधिपति हुए हो ।
( 3 ) 1. कहिं चि ग्राहया हया महीयलं गया गया । (61.4 प.च.)
- कहीं पर / किसी जगह ग्राहत अश्व और हाथी जमीन पर पड़े हुए हैं । 2 कत्थइ सन्दरण सय-खण्ड किय । कत्थइ तुरङ्ग णिज्जीव थिय 1 ( 43.1प.च.) - कहीं पर रथों के सैंकड़ों टुकड़े किए गए थे, कहीं पर निर्जीव घोड़े थे ।
3. कत्थइ कप्पदुम दिट्ठ तेण । ( 31.6 पच. )
- कहीं पर उसके द्वारा कल्पवृक्ष देखे गए।
4. कत्थ त्रिलोट्टाविय हत्थि हड | ( 43.1 प.च.) - कहीं हाथियों के समूह लोट-पोट कराए गए ।
5. वणे कहि मि रिहालिय मत्त गया । ( 36.1 पच.) -वन में कहीं पर मस्त गज देखे गए ।
6 कहि जि पुच्छ-दीहरा । किलिक्किलन्ति वाणरा । ( 32.3 प.च. ) - कहीं पर लम्बी पूँछवाले वानर किलकारियां भरते थे ।
7 किं केण वि कहि वि परिब्भविय । ( 36.12 प.च.)
- क्या किसी के द्वारा कहीं पर ( तुम्हारा ) पराभव किया गया ?
( 4 ) 1. तहि अवसरे मम्भीसन्तु मउ | सण्णहेदि दभासहो पासु गउ । (71.14 पच.) - उस समय अभय देता हुआ मय शस्त्रास्त्र से सुसज्जित होकर रावण के
पास गया ।
2. सियहे पासु पयट्टु दसाणु । (73.8 प.च.)
रावण सीता के निकट गया ।
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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