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(युष्मद् →तुम्ह से परे) जस् मौर शस् होने पर (दोनों के स्थान पर) तुम्हे
और तुम्हइं (होते हैं)। अपभ्रंश में पुल्लिग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में युष्मद्→तुम्ह से परे जस् (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय) और शस् (द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) होने पर दोनों के स्थान पर तुम्हे और तुम्हइं होते हैं । तुम्ह (पु , नपुं , स्त्री.)-(तुम्ह+जस्) =तुम्हे/तुम्हइं (प्रथमा बहुवचन)
(तुम्ह+ शस्) =तुम्हे/तुम्हइं (द्वितीया बहुवचन) 41. टा-यमा पई तई 4/370
टा [ (ङि)+(ममा) ] पई तई [ (टा) - (ङि) - (अम्) 3/1] पइं (पई) 1/1 तई (तइं) 1/1 (युष्मद्-तुम्ह से परे) टा, ङि और प्रम् सहित पई और तइं (होते हैं)। अपभ्रंश में पुल्लिग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में युष्मद् --तुम्ह से परे टा (तृतीया एकवचन का प्रत्यय), ङि (सप्तमी एकवचन का प्रत्यय) तथा प्रम् (द्वितीया एकवचन का प्रत्यय) सहित पइं और तइं होते हैं । तुम्ह (पु., नपुं.. स्त्री.)- (तुम्ह+टा) = पई, तइं (तृतीया एकवचन)
(तुम्ह+ङि)=पई, तह (सप्तमी एकवचन) (तुम्ह+अम्)=पई, तइं (द्वितीया एकवचन)
42. भिसा तुम्हेहि 4/371
भिसा (भिस्) 3/1 तुम्हेहिं (तुम्हेहिं) 1/1 (युष्मद् --तुम्ह से परे) मिस् सहित तुम्हेहिं होता है)। अपभ्रंश में पुल्लिग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में युष्मद् →तुम्ह से परे भिस् (तृतीया बहुवचन का प्रत्यय) सहित तुम्हेहिं होता है । तुम्ह (पु , नपुं, स्त्री)-(तुम्ह+भिस्)= तुम्हेहि (तृतीया बहुवचन)
43.
ङसि-ङस्भ्यां तउ तुज्झ तुध्र 4/372 सि [(ङस्भ्याम्)+-(तउ) ] तुझ तुध्र
130 ]
[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरम
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