SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपभ्रंश में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में सर्व सव्व (पु, नपुं), सव्वा (स्त्री) के स्थान पर साह (पु., नपुं.), साहा (स्त्री) विकल्प से होते हैं । नोट- साह के रूप पुल्लिंग व नपुंसकलिंग में सव्व की तरह चलेंगे तथा साहा के रूप सव्वा ( कहा) की तरह चलेंगे । 38 किम: कांइ-कवणौ वा 4/367 किम: (किम् ) 6 / 1 काई - कवणौ | (काई) - ( कबण) 1 / 2 ] वा (श्र ) == विकल्प से (पुल्लिंग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में) किम्क (पु., नपुं), का (स्त्री.) के स्थान पर काई (पु, नपुं, स्त्री.) और कवरण (पु, नपुं), कवरणा (स्त्री.) (होते हैं) 1 अपभ्रंश में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में किम्क (पु, नपुं), का के स्थान पर काई (पु., नपुं. स्त्री.) तथा कवण (पु, नपु.), कवणा (स्त्री.) होते हैं । नोट - काई सभी विभक्तियों व वचनों में काई ही रहता है 11 कवण के रूप पुल्लिंग व नपुसकलिंग में सभ्व की तरह चलेंगे तथा स्त्रीलिंग कवणा के रूप सव्वा ( कहा) की तरह चलेंगे । 39. युष्मदः सौ तुहुं 4/368 युष्मदः (युष्मद् ) 5 / 1 सौ (सि) 7 / 1 तुहुं (तु) 1 / 1 युष्मद् तुम्ह से परे सि होने पर ( दोनों के स्थान पर) तुहुं (होता है) । अपभ्रंश में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में युष्मद् तुम्ह से परे सि प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) होने पर दोनों के स्थान पर तुहुं होता है । तुम्ह (पु., नपु., स्त्री . ) - ( तुम्ह + सि) = तृहुं (प्रथमा एकवचन ) । 4/369 40. मस- शसोतुम्हे तुम्हई अस् [ (शसोः) + (तुम्हे ) ] तुम्ह [ ( जस्) - (शस्) 7 / 2] तुम्हे (तुम्हे ) 1 / 1 तुम्हई ( तुम्हई) 1 / 1 1. अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, पृष्ठ 180 1 प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ] Jain Education International For Private & Personal Use Only [ 129 www.jainelibrary.org
SR No.002695
Book TitlePraudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages202
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy