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एता (स्त्री)-(एता+जस्)=एइ (प्रथमा बहुवचन)
(एता+शस्)=एइ (द्वितीया बहुवचन) 35. अदस प्रोइ 4/364
[ (अदस )+(ोइ)] अवस: (अदस्) 5/1 अोइ (प्रोइ) 1/1 (पुल्लिग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में) अदस्→प्रमु से परे (जस् और शस् होने पर) (दोनों के स्थान पर) 'पोइ' (होता है)। अपभ्रंश में पुल्लिग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग में प्रमु से परे जस् (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय) तथा शस् (द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) होने पर दोनों के स्थान पर अोइ होता है। अमु (पु, नपुं., स्त्री)-(प्रमु+जस्) =पोइ (प्रथमा बहुवचन)
(अमु+शस्)-प्रोइ (द्वितीया बहुवचन) :6. इदम प्राय : 4/365
[ (इदमः) + (प्रायः)] इदमः (इदम्) 6/1 प्राय: (प्राय) 1/l इदम् ,इम [(पु., नपुं.), इमा (स्त्री.)] के स्थान पर प्राय [(पु., नपुं.), पाया (स्त्री) होते हैं] अपभ्रंश में पुल्लिग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में इदम् -→इम (पु., नपुं.), इमा (स्त्री.) के स्थान पर प्राय (पु, नपुं), माया (स्त्री.) होते है । नोट : प्राय के रूप पुल्लिग व नपुंसकलिंग में सत्व की तरह चलेंगे तथा आया
के रूप सत्वा (कहा) की तरह चलेंगे। 37. सर्वस्य साहो वा 4/366
सर्वस्य [ (साहः)+(वा)] सर्वस्य (सर्व) 6/1 साहः (साह) 1/1 वा (अ)=विकल्प से सर्व→सम्व [(पु. नपुं.), सव्वा (स्त्री.)] के स्थान पर साह [(पु., नपुं.), साहा (स्त्री.)] विकल्प से (होते) हैं ।
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[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ
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