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यत्-→ज, तत्त , किम् -→क से परे 'उस्' के स्थान पर डासु,'पासु' विकल्प से (होता है) । अपभ्रंश में ज, त और क अकारान्त पुल्लिग व नपुंसकलिंग सर्वनामों से परे 'इस्' (षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर प्रासु विकल्प से होता है । ज (पु , नपुं.)-(ज+स्)=(ज+पासु)=जासु (षष्ठी एकवचन) त (पु., नपुं.)-(त-+-उस्)= (त+पासु)-तासु
(षष्ठी एकवचन) क (पु., नपुं.)-(क+स्)=(क+पासु)=कासु (षष्ठी एकवचन) नोट-अन्य रूप अकारान्त पुल्लिग व नपुंसकलिंग सर्वनाम 'सव्व' के अनुसार
होंगे। 30. स्त्रियां डहे 4/359
स्त्रियां डहे [ (स्त्रियाम्)+(डहे)] स्त्रियाम् (स्त्री) 7/1 डहे (डहे) 1/1 स्त्रीलिंग में (ङस् के स्थान पर) डहे→महे (विकल्प से) (होता है)। अपभ्रंश में स्त्रीलिंग में जा, ता और का से परे डस् (षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर अहे विकल्प से होता है। जा (स्त्री)- (जा-+-स्) = (जा+हे) =जहे (षष्ठी एकवचन) ता (स्त्री) -(ता+हस्)=(ता+अहे) तहे
(षष्ठी एकवचन) का (स्त्री.) - (का+ङस्)=(का+अहे)=कहे (षष्ठी एकवचन)
नोट-अन्य रूप आकारान्त स्त्रीलिंग सर्वनाम सम्वा के समान होंगे । 31. यत्तदः स्यमोध्र 4/360
यत्तदः [ (यत्)+(तदः→तत:)] स्यमोर्बु [ (सि)+(अमोः)+ (@)] त्रं [ (यत्)-(तद्→तत्) 5/11 [(सि)-(अम्) 7/2] ध्र (ध्र) 1/1 * () 1/1 पत्→ज से परे 'सि' और 'अम्' होने पर (दोनों के स्थान पर) 5 (विकल्प से) (होता है) तथा तत्-त से परे 'सि' और 'अम्' होने पर (दोनों के स्थान पर) 'त्र' (विकल्प से) (होता है ।)
1. पद के अन्त में यदि द् आये तो उसका त् हो जाता है ।
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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