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अपभ्रंश में पुल्लिंग व नपुंसकलिंग ज से परे तथा स्त्रीलिंग जा से परे सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) तथा श्रम् (द्वितीया एकवचन का प्रत्यय) के होने पर दोनों के स्थान पर ध्रुविकल्प से होता है तथा पुल्लिंग व नपुंसकलिंग त से परे तथा स्त्रीलिंग ता से परे सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) तथा श्रम् ( द्वितीया एकवचन का प्रत्यय) के होने पर दोनों के स्थान पर श्रं विकल्प से होता हैं ।
ज (पु., नपु ) - ( ज + सि) = ध्रु (ज + श्रम् ) =
त (पु., नपु ) - ( त +सि ) =
जा (स्त्री.)
(प्रथमा एकवचन ) ( त + अम् ) = श्रं (द्वितीया एकवचन )
ता (स्त्री.) - ( ता + सि ) = श्रं (ता + अम् ) =
- ( जा + सि) = ध्रु (प्रथमा एकवचन ) ( जा + प्रम् ) = ध्रु (द्वितीया एकवचन) (प्रथमा एकवचन ) ( द्वितीया एकवचन )
नोट - हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार
(प्रथमा एकवचन ) (द्वितीया एकवचन )
ज और जा के स्थान पर जु (प्रथमा एकवचन ) (द्वितीया एकवचन )
32. इदम: इमुः क्लीबे
126 ]
त और ता के स्थान पर तं (प्रथमा एकवचन ) (द्वितीया एकवचन )
4/361
इदम: (इदम्) 5 / 1 इभु: (इमु ) 1 / 1 नपुंसकलिंग में इदम् इम से परे 'इमु' (होता है ) ।
→
इम ( नपुं. ) - (इम + सि) (इम + श्रम् )
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अपभ्रंश में नपुंसकलिंग में सर्वनाम इम से परे सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय ) तथा प्रम् (द्वितीया एकवचन का प्रत्यय) होने पर दोनों के स्थान पर इसु होता है ।
क्लीबे (क्लीब) 7/1
(ति और प्रम् होने पर ) ( दोनों के स्थान पर)
इमु (प्रथमा एकवचन ) इमु ( द्वितीया एकवचन )
[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ
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