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किम्क से परे ( ङसि के स्थान पर) डिहे इहे विकल्प से (होता है ) ।
अपभ्रंश में पुल्लिंग व नपुंसकलिंग अकारान्त सर्वनाम क से परे ङसि (पंचमी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर इहे विकल्प से होता है ।
क ( पु नपुं. ) - ( क + ङसि ) = ( क + इहे ) = किहे (पंचमी एकवचन )
28. हिं
124
4/357
ङ ेहि [(ङ) + (हिं)]
F: (f) 6/1 fg (fg) 1/1
( सर्व- सब्व आदि से परे) 'ङि' के स्थान पर 'हि' (होता है) ।
अपभ्रंश में सव्व आदि प्रकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग सर्वनामों से परे ङि (सप्तमी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर हि होता है ।
सभ्य (पु., नपुं) - ( सब्व + ङि) = (सब्व + हि)
सह (सप्तमी एकवचन )
4/330 से सम्वाह (सप्तमी एकवचन )
4/357
(पु., नपुं. ) - इयरहि
(पु., नपुं ) - अन्नह
(पु., नपुं.)
पुठवहि
(पु, नपुं) – एक्कहि
(पु., नपुं.) – तहिं
(पु., नपुं ) - जहि
(पु., नपुं. ) कहि
इयर ( दूसरा )
प्रश्न ( दूसरा )
पुण्ब (पहला )
एक्क (एक)
त
क
29. यत्तत्किभ्यो ङसो डासुर्न वा
(वह)
(जो)
( कोन)
1
4/330
इराहि
अन्नाहि
पुग्वाहि
एक्काह
ताहि
ह
काह
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(सप्तमी एकवचन )
(सप्तमी एकवचन )
(सप्तमी एकवचन )
4/358
afir ङसो डासुनं [ (यत्) + (तत्) + (किम्य: ) + (ङसः ) + (डासु:) +
(न) ] वा
(सप्तमी एकवचन)
(सप्तमी एकवचन )
[ (यत्) - (तत्) - (किम् ) 5 / 3] ङस: ( ङस् ) 6 / 1 डासु: ( डासु) 1/1 न वा ( अ ) = विकल्प से
(सप्तमी एकवचन )
(सप्तमी एकवचन)
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[ प्रौढ प्रपभ्रंश रचना सौरभ
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