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من
ताहु
सयंभू
(पु..
कमल (नपु
वारि (नपु.)
महु ( नपु. ) -
कहा (स्त्री.) -
मह (स्त्री.) -
साहूहो
सयंभू हो
कमलहो
वारिहो
महो
कहाहो
महो
लच्छी हो
हो
लच्छी (स्त्री.)
घेणु (स्त्री.) -
बहू
(स्त्री.)
18. स्त्रियां जस् - शसो हदोत्
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स्त्रियां जस् - शसोरुबोत् [ ( स्त्रियाम्) + (जस् ) - (शसोः) + (उत्) + (श्रोत्) ] स्त्रियाम् (स्त्री) 7 / 1 [ ( जस् ) - (शस् ) 6 / 2 ] उत् ( उत् ) 1 / 1 1/1
श्रोत् (श्रोत्)
साहि
भूि
कमलहिं
वारिहिं
महिं
कहाि
महि
लच्छी हिं
हि
बहूहि
बहूहो
स्त्रीलिंग में 'जस्' और 'शस्' के स्थान पर उत् 'उ' और श्रोत् 'श्री' (होते हैं) ।
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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अपभ्रंश में अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में 'जस्' (प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय) और 'शस्' ( द्वितीया बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर '३' और 'नो' होते हैं ।
साहि
सभूहि
कमलहिं
वारिहि
महि
कहाि
महि
लच्छी हि
हिं
बहूहि
कहा (स्त्री.) - ( कहा + जस् ) = ( कहा + उ, प्रो) = कहाउ, कहाश्रो
- ( कहा + शस् ) = ( कहां + उ, श्रो) = कहाउ,
कहा
( द्वितीया बहुवचन)
=
मइ (स्त्री.) - ( मइ + जस् ) = (मइ + उ प्र) – मइउ, महश्रो (प्रथमा बहुवचन) - (मइ + शस् ) = (मइ + उ, प्रो) = मइउ,
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(प्रथमा बहुवचन)
मइप्रो
( द्वितीया बहुवचन)
[ 117
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