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________________ من ताहु सयंभू (पु.. कमल (नपु वारि (नपु.) महु ( नपु. ) - कहा (स्त्री.) - मह (स्त्री.) - साहूहो सयंभू हो कमलहो वारिहो महो कहाहो महो लच्छी हो हो लच्छी (स्त्री.) घेणु (स्त्री.) - बहू (स्त्री.) 18. स्त्रियां जस् - शसो हदोत् 4/348 स्त्रियां जस् - शसोरुबोत् [ ( स्त्रियाम्) + (जस् ) - (शसोः) + (उत्) + (श्रोत्) ] स्त्रियाम् (स्त्री) 7 / 1 [ ( जस् ) - (शस् ) 6 / 2 ] उत् ( उत् ) 1 / 1 1/1 श्रोत् (श्रोत्) साहि भूि कमलहिं वारिहिं महिं कहाि महि लच्छी हिं हि बहूहि बहूहो स्त्रीलिंग में 'जस्' और 'शस्' के स्थान पर उत् 'उ' और श्रोत् 'श्री' (होते हैं) । प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ] Jain Education International अपभ्रंश में अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में 'जस्' (प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय) और 'शस्' ( द्वितीया बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर '३' और 'नो' होते हैं । साहि सभूहि कमलहिं वारिहि महि कहाि महि लच्छी हि हिं बहूहि कहा (स्त्री.) - ( कहा + जस् ) = ( कहा + उ, प्रो) = कहाउ, कहाश्रो - ( कहा + शस् ) = ( कहां + उ, श्रो) = कहाउ, कहा ( द्वितीया बहुवचन) = मइ (स्त्री.) - ( मइ + जस् ) = (मइ + उ प्र) – मइउ, महश्रो (प्रथमा बहुवचन) - (मइ + शस् ) = (मइ + उ, प्रो) = मइउ, For Private & Personal Use Only (प्रथमा बहुवचन) मइप्रो ( द्वितीया बहुवचन) [ 117 www.jainelibrary.org
SR No.002695
Book TitlePraudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages202
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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