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मइ
(स्त्री.) - मइ
लच्छी (स्त्री.)- लच्छी
धेणु (स्त्री.)- धेणु
बहू (स्त्री.) -
बहू
15. षष्ठ्याः 4/345 षष्ठ्याः (षष्ठी) 6/1
देव
(पु.)
हरि
(पु.
गामणी ( पु )
-
साहु
(पु.)
सयंभू
( पु )
कमल (नपुं. ) -
वारि (नपुं.) -
-
महु ( नपुं. ) - कहा (स्त्री.)
मइ
(स्त्री.) —
लच्छी (स्त्री.) -
धे
(स्त्री)
बहू
(स्त्री.) —
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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मइ
लच्छी
(अपभ्रंश में) षष्ठी विभक्ति के स्थान पर ( लोप होता है) ।
अपभ्रंश में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग शब्दों से परे षष्ठी विभक्ति के एकवचन और बहुवचन के स्थान पर लोप होता है ।
(देव + षष्ठी विभक्ति) = देव + 0 == देव
इसी प्रकार सभी शब्दों के रूप होंगे ।
धेणु
बहू
षष्ठी एकवचन
देव
हरि
गामणी
साहु
सयंभू
कमल
वारि
महु
कहा
बहू
मइ
लच्छी
मइ
लच्छी
धेणु
बहू
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साहु
षष्ठी बहुवचन
देव
हरि
गामणी
सयंभू
कमल
वारि
मई
लच्छी
महु
कहा
मइ
लच्छी
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बहू
बहू
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