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2. जाणाविउ पच्छण्ण-अउत्तिहिं । (5.12 प.च.)
-(मन्त्रियों के द्वारा) प्रच्छन्न उक्तियों से बताया गया।
3. कोक्काविउ सयलु वि वन्धुजणु । (9.2 प.च.)
-उसके द्वारा) सब ही बन्धुजन बुलवाये गये ।
4. लङ्काहिउ वुज्झाविउ मरण । (13.11 प.च.)
-मय के द्वारा लंकेश्वर समझाया गया।
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[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरम
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