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6. पुण्णाउस कोक्किय णीलजण । (2.9 प.च)
-(इन्द्र के द्वारा) पुण्यप्रायुवाली नीलांजना बुलाई गई।
7. पट्टविय महन्ता तुरिय तासु । (4.3 प.च.)
- शीघ्र ही उसके (पास) मन्त्री भेजे गये । 8. भरह बाहुबलि -रिसह काल-भुअङ्ग गिलिया । (5.12 प.च.)
-भरत, बाहुबलि और ऋषभ कालरूपी नाग द्वारा निगल लिये गये ।
9. साहणईं वे वि प्रोसारियाई । (4.9 प.च.) __~दोनों सेनाएं (कठिनाई से) हटायी गयीं।
10. अट्ठ वि कम्मइँ णिज्जियई। (32.11 प.च.)
-पाठों ही कर्म जीत लिए गए।
11. घरे घरे तूरई अल्फालियई। (71.3 प.च.)
-घर घर में तूर्य बजाये गये ।
12. दिव्वत्थई लइयई रावणेण । (75.14 प.च.)
-रावण के द्वारा दिव्य अस्त्र ले लिये गये ।
13. चलियई पासणाई अहमिन्दहुँ । (3.4 प.च.)
-अहमिन्द्रों के पासन चलायमान हो गये।
14. णिय-णिय जाणई सज्जियई । (3.5 प.च.)
-(देवों के द्वारा) अपने-अपने यान सजाये गये ।
15. विहि मि भवन्तराइ वज्जरियई । (5.7 प.च.)
-(वहां) दोनों के ही जन्मान्तर बताये गये ।
प्रेरणार्थक के साथ भूतकालिक कृदन्त प्रयोग 1. देवाविय लहु आणन्द-भेरि । (1.8 प.च.)
-- शीघ्र ही (राजा के द्वारा) अानन्द की भेरी बजवा दी गई।
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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