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2. मच्छरु माणु वि गलिउ परिन्दहो । (5.7 प.च.)
---राजा का मान-मत्सर गल गया। 3. तं णिसूणेवि णरवइ लज्जियउ । (6.3 प.च.)
- उसको सुनकर राजा लज्जित हुमा । 4. तं णिसुणे वि वयणु तहो वलियउ । (8.3 प. च.)
-यह सुनकर उसका मुख मुड़ा। 5. किं वालहो पव्वज्ज म होनो । (24.5 प.च.)
-क्या बालक के लिए प्रव्रज्या नहीं हुई ? 6. थम्भिउ पुप्फविमाणु अम्बरे । (13.1 प.च.)
-- (उसका) पुष्पक विमान आकाश में रुक गया। 7. तं रिद्धि सुणेवि दसाणणहो परिमोसु पड्ढिउ परियणहो । (9.13 प.च.)
-रावण के उस वैभव को सुनकर (देखकर) परिजनों का सन्तोष बढ़ गया। 8. पुवमउ सरेवि कोहें जलिउ । (33.13 प. च.)
-पूर्वभव को याद करके (वह) क्रोध से जल उठा । 9. सीयहे वयण सुणेवि मणे डोल्लिय । (41.12 प.च.)
-सीता के वचन सुनकर (मन्दोदरी) मन में कांपी। 10. तं पेक्षेवि तडिकेसु वि डरिउ । (6.13 प.च.)
-उसे देखकर तडित्केश भी डर गया । 11. णव-पाउसे णव घण गज्जिय । (2.1 प.च.)
-नव वर्षाऋतु में नवधन गरज उठे । 12. छत्तई पडियइँ महिहिं णाई सयवत्तई । (52.2 प.च.)
-कमल की तरह छत्र धरती पर गिरे पड़े (थे) । 13. वेण्णि वि वलई परोप्परु भिडियई । (52.8 प.च.)
-दोनों सेनाएं आपस में टकरा गई। 14. महएवि महियले पडिय रुयन्ती । (23.3 प.च.)
~ोती हुई महादेवी (अपराजिता) धरती पर गिर पड़ी।
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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