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2. पडिउ जडाइ रणे जाणइ: हरि-वलहुँ तिहि मि चित्तई पाडन्तउ 1 ( 38.13 प.च.) - जटायु रण में जानकी, लक्ष्मण और राम तीनों के चित्त को गिराता हुआ गिर पड़ा ।
कर्मवाच्य व भाववाच्य के प्रत्यय के साथ वर्तमान कृदन्त-प्रयोग
1. दरिसाविउ सयलु वि बन्धुजणु, कस घाएहि चाइज्जन्तु वणे । (9.10 प.च.) - सभी बन्धुजनों को वन में कोड़ों के प्राघात से पीटे जाते हुए दिखाया गया । 2. पेक्खेवि हयवर पाडिज्जन्ता भिडिउ पसण्ण कित्ति सुर-साहणे । ( 17.3 प.च.) - हयवरों को गिराए जाते हुए देखकर प्रसन्नकीर्ति सुरसेना से भिड़ गया । 3. सुणेवि गिज्जन्तइँ मङ्गलाई, वर आणवडिच्छउ सयलु लोउ । ( 86.9 प च . ) - गाए जाते हुए मंगलों को सुनकर सब लोग चाहने लगे कि वर को बुलाया
जाए ।
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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