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अथैतेषां कर्मणामुत्तरप्रकृति निरूपयामिमतिज्ञानावरणं श्रुतज्ञानावरणं अवधिज्ञानावरणं मनःपर्ययज्ञानावरणं केवलज्ञानावरणं पंचधेति ज्ञानावरणं।
चक्षुदर्शनावरणं अचक्षुदर्शनावरणं अवधिदर्शनावरणं केवलदर्शनावरणं निदा-निद्रा निद्रा प्रचला-प्रचला प्रचला स्त्यानगृद्धिः इति नव प्रकारं दर्शनावरणं।
सातवेदनीयं असातवेदनीयं द्विधेति वेदनीयं।
दर्शनमोहनीयं चारित्रमोहनीयं द्विधेति मोहनीयं। मिथ्यात्वं सम्यक्त्वं सम्यग्मिथ्यात्वं त्रिविधमिति दर्शनमोहनीयं। कषायवेदनीयं नोकषायवेदनीयं द्विधेति चारित्रमोहनीयं।
अब कर्मों की उत्तरप्रकृतियों का निरूपण करता हूँ।
मति ज्ञानावरण, श्रुत ज्ञानावरण, अवधि ज्ञानावरण, मनः पर्यय ज्ञानावरण एवं केवल ज्ञानावरण इस प्रकार ज्ञानावरणीय कर्म पांच प्रकार का है।
चक्षु दर्शनावरण, अचक्षुदर्शनावरण, अवधि दर्शनावरण, केवल दर्शनावरण, निद्रानिद्रा, निद्रा, प्रचलाप्रचला, प्रचला एवं स्त्यानगृद्धि इस प्रकार दर्शनावरण कर्म नौ प्रकार का है।
सातावेदनीय और असातावेदनीय इस प्रकार वेदनीय कर्म दो प्रकार का है।
दर्शनमोहनीय और चारित्रमोहनीय, इस प्रकार मोहनीय कर्म दो प्रकार का है।
दर्शनमोहनीय तीन प्रकार का है – मिथ्यात्व, सम्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्त्व प्रकृति।
चारित्रमोहनीय कर्म दो प्रकार का है - कषायवेदनीय और नोकषाय वेदनीय।
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