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________________ (छ) Charactor-Newari - लिपि प्रकार । (ज) Date, Newar Era 229 - तिथि-संवत् का उल्लेख। (झ) Appearence - old - रूप का विवरण - यह प्रति देखने में प्राचीन लगती है। (ञ) Verse - रचना पद्यबद्ध है। Beginning ॐ नमो महाभैरवाय संकर्ता मण्डलान्ते क्रमपदनिहितानन्दशक्तिः सुभीमा। धृष्टक्षाढ्यं चतुष्कं अकुलकुलनतं पंचकं चान्यषट्कम् ॥ १॥ Colophon - इति कुलालिका भांये श्रीमत् कुब्जिकामते समस्त स्थानावबोधश्चर्या निर्देशो (2) नाम पंचविंशतिमः पटल समाप्तः। संवत् 299 फाल्गुन कृष्णा। विषय ... (1 से 25 पटल तक के) इस प्रकार समस्त सूचनाओं के देने के बाद ग्रंथ के आदि और अन्त के कुछ अंश के उदाहरण भी दिये गये हैं। इसके बाद Colophon (पुष्पिका) देकर विषय-सूची भी दे दी गई है। (2) डॉ. एल. पी. टेसिटरी की पद्धति : सन् 1914 ई. में डॉ. टेसिटरी को एशियाटिक सोसायटी ऑव बंगाल ने 'वारडिक एण्ड हिस्टोरीकल सर्वे ऑव राजपूताना' का सुपरिंटेंडेण्ट बनाया। उनकी यह सर्वेक्षण रिपोर्ट सन् 1917-18 के मध्य प्रकाशित हुई। उस रिपोर्ट के ग्रंथांक 6 के विवरण का अनुवाद इस प्रकार है - ग्रंथांक-6 - नागौर के मामले री बात नै कविता गुटके के रूप में छोटा-सा ग्रंथ, पत्र 132, आकार 5"x512", पृ. 21 ब26 ब, 45 ब - 96 ब तथा 121 ब - 132 ब खाली हैं । लिखित पत्रों में से 13 से 27 अक्षरोंवाली 7 से 16 तक पंक्तियाँ हैं । पृ. 100-125 पर साधारण (नौसिखिए के बनाए चित्र) चित्र पानी के रंगों में 'रसूल रा दूहा' को चित्रित करने के लिए बनाए गए हैं। ग्रंथ कोई 250 वर्ष पुराना लिपिबद्ध है। पृ. 7 ब पर लिपिकाल 76 ___ सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002693
Book TitleSamanya Pandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirprasad Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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