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________________ फल श्याम एवं डॉ. सत्येन्द्र आदि विद्वानों ने लेखनी के संबंध में विस्तार से विचार किया है। इन सभी ने लेखनी के रंग, उससे लिखने के ढंग, लेखनी में गाँठे, लम्बाई आदि के शुभाशुभ फल बताए हैं । लेखनी के रंग को लेकर चतुर्वर्ण की कल्पना तक की है। जैसे - लेखनी का रंग वर्ण श्वेत ब्राह्मणी सुख लाल क्षत्राणी दरिद्रता पीत (पीला) वैश्यवी पुष्कल धन-प्राप्ति आसुरी धन-नाश कहने का अभिप्राय यह है कि निर्दोष लेखनी से ही लेखन-कार्य करना चाहिए। किसी प्रकार के लिप्यासन पर लिखने के कार्य में प्रयुक्त साधन को सामान्यतः लेखनी कहा गया है। तूलिका, शलाका, वर्णवर्तिका, वर्णिका, वर्णक, कूँची, कलम आदि लेखनी के ही पर्याय हैं। डॉ. बूहलर का कहना है कि - __ "The general name of 'an instrument for writing' is lekhani, which of course includes the stilus, pencils, brusher, reed and wooden pens and is found already in epics."| नरसल (Reed) की कलम, जिसे 'इषीका' कहा जाता है, का हमारे देश में विशेष प्रचलन रहा है। इन पंक्तियों के लेखक ने भी नरसल की कलम से सुलेख हेतु तख्ती (पाटी) खूब लिखी है। खुरचकर, कुरेदकर या खोदकर लिखने का साधन - 'छैनी' (Chisel) या लोहे की कलम भी लेखनी का ही पर्याय है। (3) लेखन का गुण-दोष : भारतीय परम्परा में लेखन-प्रक्रिया से संबंधित सभी वस्तुओं के साथ शुभाशुभ या गुण-दोष की मान्यता रही है। कौनसा या किस प्रकार किया गया लेखन शुभ होता है और किस प्रकार का अशुभ। इस पर प्राचीन काल से ही विचार होता आया है। स्पष्ट, सुन्दर, कलात्मक एवं चित्ताकर्षक लेखन सदैव प्रशंसनीय रहा है। (4) लेखन-विराम में शुभाशुभ : लेखक या प्रतिलिपिकर्ता को आवश्यकतावश लिखते-लिखते बीच ही में उठना पड़े तो लेखन-विराम करते 1. India Palaeography : Dr. G. Buhler, P. 147 - 62 सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002693
Book TitleSamanya Pandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirprasad Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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