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नामक ग्रंथ में काव्य-शास्त्र में प्रयुक्त होने वाली शब्द और उनके पर्याय अंकों की सूची दी गई है। जैसे - संख्या
पदार्थ एक - आदित्य, मेरु, चन्द्र, प्रासाद, दीपखण्ड, कलश, खंग, हर, नेत्र, शेष,
स्वर्दण्ड, अंगुष्ठ, हस्तिकर, नासा, वंश, विनायक-दन्त, पताका, मन, शक्राश्व, अद्वैतवाद। भुज, दृष्टि, कर्ण, पाद, स्तन, संध्या, राम-लक्ष्मण, श्रृंग, गजदन्त, प्रीति-रति, गंगा-गौरी, विनायक-स्कन्द, पक्ष, नदीतट, रथधुरी,
खंग-धारा, भरत-शत्रुघ्न, राम-सुत, रवि-चन्द्र।। तीन - भुवन, बलि, वह्नि, विद्या, संध्या, गज-जाति, शम्भुनेत्र, त्रिशिरा,
मौलि, दशा, क्षेत्रपाल-फण, काल, मुनि, दण्ड, त्रिफला, त्रिशूल, पुरुष, पलाश-दल, कालिदास-काव्य, वेद, अवस्था, कम्बुग्रीवारेखा, त्रिकूट-कूट, त्रिपुर, त्रियामा, यामा, यज्ञोपवीत सूत्र,
प्रदक्षिणा, गुप्ति, शल्य, मुद्रा, प्रणाम, शिव, भवमार्ग, शुमेतर । चार - ब्रह्मा के मुख, वेद, वर्ण, हरिभुज, सूर-गज-रद, चतुरिका स्तम्भ,
संघ, समुद्र, आश्रम, गो-स्तन, आश्रम कषाय, दिशाएँ, गज जाति, याम, सेना के अंग, दण्ड हस्त, दशरथ-पुत्र, उपाध्याय, ध्यान, कथा, अभिनय, रीति, गोवरण, माल्य, संज्ञा, असुर, भेद, योजनक्रोश,
लोकपाल। पाँच - स्वर, बाण, पाण्डव, इन्द्रिय, करांगुलि, शम्भुमुख, महायज्ञ, विषय,
व्याकरणांग, व्रत-वह्नि, पार्श्व, फणि-फण, परमेष्ठि, महाकाव्य, स्थानक, तनुवात, मृगशिर, पंचकुल, महाभूत, प्रणाम, पंचोत्तर,
विमान, महाव्रत, मरुत्, शस्त्र, श्रम, तारा। छः - रस, राग, ब्रज-कोण, त्रिशिरा के नेत्र, गुण, तर्क, दर्शन, गुहमुख। सात - समुद्र, त्रय, सप्तपर्ण-पर्ण, विवाह, पाताल, शुक्रवाह-मुख, दुर्गति। आठ - दिशा, अहिकुल, देश, कुम्भिपाल, कुल, पर्वत, वसु, योगांग,
व्याकरण, ब्रह्म, श्रुति, शम्भू-मूर्ति । 1. लिपि विज्ञान : डॉ. सत्येन्द्र, पृ. 44
पाण्डुलिपि-ग्रंथ : रचना-प्रक्रिया
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