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अंत में, पाण्डुलिपि विज्ञान की दृष्टि से ये संग्रहालय-सूची शोधकर्ता को निश्चित रूप से सहायक सिद्ध होगी। 10. आधुनिक पाण्डुलिपि पुस्तकालय
आजकल प्रायः तीन प्रकार के संग्रहालय पाये जाते हैं। डॉ. आर.बी. बोर्डिन एवं डॉ. आर.एस. वारनर ने अपनी पुस्तक 'द माडर्न मैन्युस्क्रिप्ट लाइब्रेरी' में इन तीन प्रकार के संग्रहालयों में अन्तर बताते हुए लिखा है -
(1) रक्षागार (Archives) (2) अजायबघर (Museum) (3) पाण्डुलिप्यागार या हस्तलिपि भण्डार
रक्षागार प्रायः राजकीय होते हैं। इनमें सरकारी कागज-पत्रों का संरक्षणभण्डारण होता है । हमारे देश में राष्ट्रीय लेखा रक्षागार' (National Archives) इसी प्रकार का संग्रहालय है। राजस्थान में बीकानेर में राज्य सरकार का पुरालेख संग्रहालय है।
अजायबघर में दर्शनीय वस्तुओं या पाण्डुलिपियों का संग्रह किया जाता है। इन पाण्डुलिपियों में कलात्मक सौन्दर्य एवं वैशिष्ट्य दर्शनीय होता है। ये केवल देखने के लिए ही दर्शनार्थी को उपलब्ध रहती है।
लेकिन वस्तुत: पाण्डुलिप्यागार या हस्तलेखागार का मुख्य उद्देश्य अध्येताओं एवं शोधार्थियों के लिए उपयोगी होता है। इनमें ज्ञान-विज्ञान की अनेक महत्वपूर्ण पाण्डुलिपियाँ होती हैं जो शोधार्थी के लिए उपयोगी होती हैं।
इस प्रकार पाण्डुलिपि विज्ञान का महत्त्व स्वयंसिद्ध है। इसके ज्ञान से हम अपने पूर्वजों की अपार ज्ञानराशि से साक्षात्कार कर सकते हैं। इसी को रस्किन महोदय ने 'राजसी सम्पदाकोष' (Kings Treasuries) में प्रवेश पाना कहा है।
1. द माडर्न मैन्युस्क्रिप्ट लाइब्रेरी, पृ. 1
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सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान
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