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से अपरिचित थे। अत: वे उन्हें 7-8वीं शती ई.पू. में मानते हैं। पाठकजी उन्हें भगवान महावीर से कुछ पहले 7वीं शती ई.पू. के अन्तिम चरण में मानते हैं तो डॉ. डी. आर. भण्डारकर उन्हें छठी शती ई.पूर्व के मध्य मानते हैं। चार पेंटियर उन्हें 500 ई.पू. से अधिक मानते हैं तो ह्वोथलिंक 350 ई.पू. ही मानते हैं । वेवर महोदय ने उनका समय सिकन्दर के आक्रमण के बाद का माना है।
वटामावली
वारा HARINEET
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'ददरेवा' ग्राम में प्राप्त विद्यमान 'जैतसी' का शिलालेख (जान कवि ने 'क्यामखा रासो' [सम्वत् 1373] में क्यामखानी चौहानों की वंशावली प्रस्तुत की है, उसमें गोगाजी व जैतसी का भी उल्लेख है। अत: इसके आधार पर जैतसी गोगाजी के वंशज हैं।)
- माघ सुदि १४ चंद्रवार (सम्वत् १३७३) 1. पाण्डुलिपिविज्ञान : डॉ. सत्येन्द्र, पृ. 254 से साभार
काल-निर्णय
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