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मूलवर्ण
के स्थान पर
| मूलवर्ण
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घ, थ
ब्त्र, द्य
स्त, स्व, म्
च, न
लिपिकर्ता की भ्रान्तियों के कारण शब्द-रूपों के भ्रान्त लेखन के भी कुछ उदाहरण दिये जाते हैं - मूल शब्द
प्रमादवश लिखा शब्द प्रभाव
प्रसव स्तवन
सूचन यच्च
यथा प्रत्यक्षतोवगम्या
प्रत्यक्षबोधगम्या नवाँ
तथा नच तदा
तथा पर्वतस्य
पवन्नस्य परिवुड्ढि
परितुट्ठि नचैव
तदैव अरिदारिणा
अरिवारिणी या अविदारिणी दोहलक्खेविया
दो हल कबे दिया जीवसालिम्मी कृतं
जीवमात्मीकृत
तव
1. भारतीय जैन स्मरण संस्कृति अने लेखन कला, पृ. 79
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सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान
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