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पाण्डुलिपि वैज्ञानिक मुनि पुण्यविजयजी ने हस्तलिखित ग्रंथों में प्रयुक्त ऐसे अक्षरों की सूची दी है जिसमें परस्पर समानता के कारण लिपिकर्ता एक के स्थान पर दूसरा अक्षर लिख देता है। जैसे - मूलवर्ण
के स्थान पर मूलवर्ण के स्थान पर
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रव, स्व,
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ध, व, थ, प्य
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1. भारतीय जैन श्रमण संस्कृति अने लेखन कला, पृ. 78
पाठालोचन
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