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13. (ई) उदात्त-अनुदात्त-ध्वनि-वर्ण
उदात्त-अनुदात्त-ध्वनियों से संबंधित कोई चिह्न नहीं है, केवल प्रसंग, अर्थ एवं अनुभव द्वारा ही सहायता मिल सकती है। कहीं-कहीं यह भी संभव नहीं। जैसे – 'सांड' - सांड (बैल) सां'ड (ऊँटनी), धन - धन (संपत्ति) ध'न (पत्नी)।
यहाँ हमने डॉ. माहेश्वरी के अनुभव-ज्ञान द्वारा प्रस्तुत क्षेत्रीय लिपिमाला के आधार पर राजस्थानी पाण्डुलिपियों में पाई जाने वाली भूलों की ओर संकेत किया है। पाण्डुलिपिविज्ञान-वेत्ता को चाहिए कि वह अन्य क्षेत्रों में पाण्डुलिपियों को देखकर उनके आधार पर क्षेत्रीय लिपिमालाएँ तैयार करायें। इस प्रकार लिपि संबंधी समस्याओं का समाधान आसानी से हो सकेगा।
पाण्डुलिपि की लिपि : समस्या और समाधान
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