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________________ 15. म> स। मान निहोरा कित रह्या। सान निहोरा कित रह्या। 16. ह > ड। 3. ह.ह. 17. ड > द। हडूकियो > डदूकियो डेल्ह > देल्ह (सुप्रसिद्ध कवि का नाम) (आ) भ्रामक वर्ण 1. ) ।त्र ) त्र त्रपतपत । नपत । त्रपत 2. हलन्त् 'र' के लिए दो अक्षरों के बीच "-" चिह्न भी लिखा मिलता है (अनेक प्रतियों में)। सत्रहवीं शताब्दी की प्रतियों में अपेक्षाकृत अधिक। उदाहरणार्थ : घाखा धान्य मारण » मान्या इससे ये भ्रम हो सकते हैं :(अ) सम्भवतः धा और या को मिलाया गया है (धाख्या > धा-या)। (ब) सम्भवतः इन दोनों के बीच कोई अक्षर, मात्रादि छूट गया है। (स) सम्भवतः इसके पश्चात् शब्द समूह या ओल (पंक्ति) छूट गई है। इसको कोई चिह्न-विशेष न समझकर 'र' का हलन्त रूप (-) समझना चाहिए। यह (-) अन्तिम अक्षर के साथ जुड़े हुए रूप में मिलती है, पृथक् नहीं। (इ) प्रमाद से लिखे गये वर्ण - इस शीर्षक के अन्तर्गत उल्लिखित (अ) विवादास्पद (Controversial) और (आ) भ्रामक (Confusing) दोनों वर्ग भी सम्मिलित हैं। अब यहाँ प्रमादी लेखन से क्या परिणाम होते हैं और क्या कठिनाइयाँ खड़ी होती हैं, उन्हें देखना है। पहले मात्राओं पर ध्यान जाता है : पाण्डुलिपि की लिपि : समस्या और समाधान 135 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002693
Book TitleSamanya Pandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirprasad Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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