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(11) तमिललिपि - यह 7वीं सदी से वर्तमान तक, ग्रंथलिपि से विकसित लिपि है। तमिल का ही घसीट का एक रूप टेलुत्तु है, जिसका 14वीं सदी तक प्रचार रहा।
इनके अलावा हमारे देश में उर्दू और रोमन लिपियाँ भी प्रचलित हैं, जो दो विभिन्न राज-सत्ताओं की देन हैं, जिनसे वर्तमान सत्ता भी छुटकारा नहीं पा सकी। भारत की राष्ट्रलिपि देवनागरी है। 11. देवनागरी लिपि : समस्याएँ - ऐतिहासिक दृष्टि से लिपि के स्वरूप एवं विविध लिपियों की वर्णमाला पर विचार करने के बाद देवनागरी लिपि के अक्षरों पर विचार करते हैं। डॉ. सत्येन्द्रजी ने पाण्डुलिपिविज्ञान के पृ. 207 पर विशिष्ट अक्षरों की एक अक्षरावली दी है। वह अक्षरावली नीचे दी जाती है।
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.. इस अक्षरावली पर दृष्टि डालने से एक बात तो यह विदित होती है कि 'उ ऊ ओ औ' चारों स्वरों में 'मूल स्वर' का एक रूप है । 'उ ऊ' में भी और 'ओ 1. सामान्य भाषा विज्ञान, पृ. 60-62
पाण्डुलिपि की लिपि : समस्या और समाधान
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