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था फन (ब्रह्मा), जिसने ब्राह्मी लिपि का आविष्कार किया, जो बायें से दायें लिखी जाती है, दूसरी दैवी शक्ति थी किया लू (खरोष्ठ) जिसने खरोष्ठी का आविष्कार किया, जो दायें से बायें लिखी जाती है, तीसरी और सबसे कम महत्वपूर्ण दैवी शक्ति थी त्साम-की (Tsamki) जिसके द्वारा आविष्कृत लिपि ऊपर से नीचे की ओर लिखी है। यही विश्वकोष हमें आगे बताता है कि पहले दो देवता भारत में उत्पन्न हुए थे और तीसरा चीन में ....।''
'ललितविस्तार' में वर्णित 64 लिपियों का वर्गीकरण निम्न प्रकार कर सकते हैं - 1. बाह्मी - भारत की अकारादिक (Alphabetic) प्रणाली की प्राचीन एवं
प्रचलित लिपि। 2. खरोष्ठी - भारत के उत्तर-पश्चिम की लिपि, किन्तु वर्णमाला ब्राह्मी के
समान थी। 3. विदेशी लिपियाँ - (भारत में ज्ञात) (क) यवनानी (यवनाली) - यूनानी (ग्रीक) लिपि से व्यापार के
माध्यम से भारत इस लिपि से परिचित था। यह कुषाणकालीन
सिक्कों पर भी अंकित मिलती है। (ख) दरदलिपि (दरद लोगों की) (ग) खस्यालिपि (खशों और शकों की) (घ) चीनी लिपि (चीन की) (ङ) हूणलिपि (हूणों की) (च) असुरलिपि (असुरों की - जो पश्चिम एशिया में आर्यों की शाखा
के ही थे। (छ) उत्तर कुरुद्वीप लिपि - (उत्तर कुरु, हिमालय और उत्तर क्षेत्र
की लिपि) (ज) सागरलिपि - (समुद्री क्षेत्रों की लिपि)
1. Indian Palaeography : R.B. Pandey, PP 25-26
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सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान
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