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10. भारत में प्रचलित लिपियाँ
प्राचीन भारत में, प्रसिद्ध बौद्ध ग्रंथ 'ललित विस्तार' के आधार पर पं. गोपालनारायण बहुरा जी ने 64 लिपियों के प्रचलित रहने की बात कही है। वे निम्नलिखित हैं - 1. ब्राह्मी, 2. खरोष्ठी, 3. पुष्करसारी, 4. अंगलिपि, 5. बंगलिपि, 6. मगधलिपि, 7. मंगत्यलिपि, 8. मनुष्यलिपि, 9. अंगुलीयलिपि, 10. शकारिलिपि, 11. ब्रह्मवल्ली, 12. द्राविड़, 13. कनारि, 14. दक्षिण, 15. उग्र, 16. संख्यालिपि, 17. अनुलोम, 18. ऊर्ध्वधनु, 19. दरदलिपि, 20. खास्यलिपि, 21. चीनी, 22. हूण, 23. मध्याक्षर लिपि, 24. पुष्पलिपि, 25. देवलिपि, 26 नागलिपि, 27. यक्षलिपि, 28. गंधर्वलिपि, 29. किन्नरलिपि, 30 महोरगलिपि, 31. असुरलिपि, 32. गरुड़लिपि, 33. मृगचक्रलिपि, 34. चक्रलिपि, 35. मायुमरुलिपि, 36. भौमदेवलिपि, 37. अन्तरिक्ष देवलिपि, 38. उत्तर बुद्धद्वीपलिपि, 39. अपर गौड़ादिलिपि, 40. पूर्वविदेहलिपि, 41. उत्क्षेपलिपि, 42. निक्षेपलिपि, 43. विक्षेपलिपि, 44. प्रक्षेपलिपि, 45. सागरलिपि, 46. व्रजलिपि, 47. लेख प्रतिलेख लिपि, 48. अनुद्रुतलिपि, 49. शास्त्रवर्तलिपि, 50. गणावर्तलिपि, 51. उत्क्षेपावर्तलिपि, 52. विक्षेपावर्त, 53. पादलिखितलिपि, 54. द्विरुत्तरपद संधि लिखित लिपि, 55. दशोत्तरपदसंधि लिखित लिपि, 56. अध्याहारिणी लिपि, 57. सर्वरुत संग्रहणी लिपि, 58. विद्यानुलोमलिपि, 59. विमिश्रितलिपि, 60. ऋषितपस्तप्तलिपि, 61. धरणीप्रेक्षजालिपि, 62. सर्वोषध निष्यन्दलिपि, 63. सर्वसारसंग्रहणी लिपि, 64. सर्वभूतरुद् ग्रहणी लिपि।
उपर्युक्त लिपियों में बहुत से नाम तो लिपिद्योतक न होकर लेखन प्रकार के हैं, कितने ही कल्पित और कितने ही नाम पुनरावृत्त भी हैं, किन्तु डॉ. राजबली पाण्डेय की मान्यता कुछ भिन्न प्रकार की है, वे कहते हैं कि - "ऊपर की सूची में भारतीय तथा विदेशी उन लिपियों के नाम हैं जिनसे उस काल में, जबकि ये पंक्तियाँ लिखी गई थीं, भारतीय परिचित थे या जिनकी कल्पना उन्होंने की थी। पूरी सूची में से केवल दो ही लिपियाँ ऐसी हैं जिन्हें साक्षात् प्रमाण के आधार पर पहचाना जा सकता है। ये दो लिपियाँ ब्राह्मी और खरोष्ठी हैं । चीनी विश्वकोष फा-वन-सुलिव (668 ई.) इस प्रसंग में हमारी सहायता करता है। इसके अनुसार लेखन का आविष्कार तीन दैवी शक्तियों ने किया था, इनमें पहला देवता
पाण्डुलिपि की लिपि : समस्या और समाधान
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