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(क) राजाज्ञा-विषयक
(ख) दान - विषयक
(ग) किसी स्थान निर्माण के अभिप्राय एवं काल-विषयक (घ) घटना - विशेष के स्मरण लेख आदि ।
शिलालेखों की छाप लेने की विधि
जिस शिलालेख (या प्रस्तरलेख - ताम्रलेख आदि) की छाप लेनी हो तो पहले उसे पानी से भलि प्रकार धो लेना चाहिए ताकि अक्षरों में घुसी धूल-मिट्टी साफ हो जाये, फिर कागज (जूनागढ़ी हो तो बहुत अच्छा है) को पानी में भिगोकर जिस लेख की छाप लेनी है उस पर चिपका देना चाहिए । फिर हल्के हाथ से उसे मुलायम ब्रुश से धीरे-धीरे पीटना चाहिए, ताकि कागज अक्षरों में
प्रकार चिपक जाए। यदि कहीं कागज पर बुलबुले उठते हों तो उन्हें ब्रुश से पीट-पीट कर किनारे कर देना चाहिए। यदि पीटते समय कहीं से कागज फट जाये या कट जाये तो उस स्थान पर एक कागज का टुकड़ा भिगोकर लगा देना चाहिए और उसे पीट-पीट कर उस कागज में मिला देना चाहिए। इसके बाद काली स्याही ( आजकल प्रेस के काम में ली जाने वाली स्याही भी काम में ली जा सकती है) के घोल से डैबर ( या पफ) की सहायता से लेख की पंक्तियों को स्याही लगा देनी चाहिए। कहीं धब्बा न लगे इसका ध्यान रखना चाहिए। जब पूरे लेख पर स्याही लग जाये तब धीरे-धीरे कागज को लेख से उतार कर सुखा लेना चाहिए। बस आप की छाप तैयार है ।
छाप लेने की सामग्री
एक थैले में निम्न सामग्री होनी चाहिए -
1. ब्रुश दो (एक मुलायम तथा एक कठोर - गर्म कपड़े साफ करने वाला) 2. वांछित सफेद कागज (जूनागढ़ी)
3. स्याही मिलाने का डैबर - 1
4. बड़ा डैबर 1 - लेख पर स्याही लगाने के लिए
5. चाकू
6. स्केल या कपड़े का फीता
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सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान
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