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________________ 1100 ई. की 'निशीथ-चूर्णि' से दूसरे रूप का विकास होता है, जिसमें बेलबूटों के साथ पशुओं की आकृतियाँ भी चित्रित हैं। 13वीं शताब्दी में देवीदेवताओं के चित्रण अधिक देखने को मिलते हैं। ये सभी पाण्डुलिपियाँ ताड़पत्रीय थीं। 1100 से 1400 ई. के मध्य चित्रित ग्रंथों में अंगसूत्र, कथा सरित्सागर, त्रिषष्ठि-शलका-पुरुष-चरित, श्री नेमिनाथ चरित, श्रावकप्रतिक्रमण-चूर्णि आदि प्रमुख हैं। ___ 14वीं से 16वीं शती के मध्य कागज का उपयोग होने लगा था। इस समय की चित्रित पाण्डुलिपियों में कल्पसूत्र, कालकाचार्य कथा की अनेक प्रतिलिपियाँ प्रमुख हैं। लखनऊ संग्रहालय में 1451 वि. की 'बसंत-विलास' नामक कृति में 79 चित्र प्राप्त होते हैं। अलवर संग्रहालय में भी अनेक महत्वपूर्ण पाण्डुलिपियाँ हैं, जो अरबी-फारसी शैली की बेहतरीन पाण्डुलिपि मानी जाती हैं । सन् 1840 ई. में निर्मित 'गुलिस्तां' ऐसी ही कृति है। ऐसी सजावटी एवं उपयोगी पुस्तकें बहुमूल्य होती हैं। अत: यह विशेष सुरक्षा की अपेक्षा रखती है। 4. सामान्य स्याही से भिन्न स्याही में लिखित आधार पर सामान्य स्याही से अभिप्राय काली या कभी-कभी लाल स्याही में लिखित ग्रंथों से है। इनके अतिरिक्त स्वर्ण या रजत की स्याही से लिखित वर्णों वाली पाण्डुलिपि बहुत मूल्यवान मानी जाती है । यद्यपि स्वर्ण एवं रौप्य या रजताक्षरों में लिखित पाण्डुलिपियाँ कम ही होती हैं, फिर भी पाण्डुलिपियों का यह वर्ग विशेष देखभाल की अपेक्षा रखता है। 5. अक्षरों के आकार-आधारित प्रकार सूक्ष्म अथवा स्थूल अक्षरों के आकार के आधार पर भी पाण्डुलिपियों का प्रकार निर्धारित किया जा सकता है। इस प्रकार सूक्ष्माक्षरी पाण्डुलिपियाँ प्रायः त्रिपाट या पंचपाट की होती हैं । अर्थात् जितने छोटे (सूक्ष्म) अक्षरों का प्रयोग किया जावेगा, पाण्डुलिपि में उतनी ही अधिक सामग्री का समावेश हो सकेगा। इस प्रकार सूक्ष्माक्षरी पाण्डुलिपि को पढ़ने में आतिशी शीशे की आवश्यकता होती है। 1. पाण्डुलिपि विज्ञान; डॉ. सत्येन्द्र, पृ. 161 2. The Researcher, Vols. XII-XIII. 1972-74. पृ. 35-38, अलवर संग्रहालय के कुछ नादिर मखतूतात : ए. एफ. उसमानी (लेख)। 104 __सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002693
Book TitleSamanya Pandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirprasad Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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