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________________ दक्षिण भारत में, विशेषकर आंध्रप्रदेश में इमली के चीयों की लेई बनाकर कपड़े पर लपेट कर पट बनाया जाता था, जिसकी बहियाँ बनाकर व्यापारी अपने काम में लेते थे। ऐसे पटों से बनी बही को 'कदितम्' कहा जाता था। 300 वर्ष प्राचीन ऐसी अनेक बहियाँ शृंगेरी मठ में उपलब्ध हैं । सूती-पटों के अतिरिक्त कहीं-कहीं रेशमी-पटों का भी प्रयोग किया जाता था। अल्बरूनी ने नगरकोट के किले की एक 'राजवंशावली' का वर्णन किया है, जो रेशम के पट पर लिखी है। (ङ) चर्मपत्रीय : चर्मपत्रीय पाण्डुलिपियों की उपस्थिति तो बहुत प्राचीनकाल से ही मानी जाती है, किन्तु भारत में धार्मिक कारणों से चर्मपत्र पर लेखन का कार्य बहुत कम हुआ है। हाँ, पुस्तक की जिल्दबंदी में चर्मपत्र का प्रयोग अवश्य किया जाता था। इस प्रकार के उल्लेख कालीदास के ग्रंथों और सुबन्धु कृत 'वासवदत्ता' में भी आये हैं। डॉ. व्हूल्हर को जैसलमेर के हस्तलिखित-ग्रंथ भण्डारों में कुछ चर्मपत्र भी प्राप्त हुए थे। इससे कल्पना की जा सकती है कि मानो उनका उपयोग लिखने में या ग्रंथ को आवेष्टित करने में अवश्य किया जाता रहा होगा। भारत के अलावा यूनान, अरब, योरोप और मध्य एशिया के देशों में प्राचीन काल से ही पार्चमैण्ट (चमड़े से निर्मित) के चर्मपत्र पर लेखन कार्य होता था। सोक्रेटीज ने भेड़ के चर्म-पत्र का उल्लेख किया है। 11वीं शती तक इस्लामी काल में मृगचर्म पर लिखित कुरान की अरबी प्रतियाँ तैयार की जाती थीं। मिश्र और ईरान में भी पार्चमैण्ट पर ग्रंथ लिखने की बात मिलती है। पल्हवी भाषा में चमड़े को 'पुस्त' कहते हैं। इसी से ईरानी सम्पर्क के कारण 'पुस्त' शब्द से भारत में 'पुस्तक' शब्द का प्रयोग हुआ। मृच्छकटिक नाटक में शूद्रक ने पुस्तक के प्राकृत रूप 'पोत्थम' या 'पोथा' का प्रयोग किया है। 7वीं शती से 'पुस्तक' शब्द भारतीय ग्रंथों में प्रयुक्त होने लगा था। बाणभट्ट ने 'श्रीहर्षचरित' में 'पुस्तक' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया है। इसी ग्रंथ में पुजारी के वर्णन में कपड़े पर लिखित 'दुर्गास्तोत्र' का वर्णन भी मिलता है। (च) काष्ठीय : काष्ठीय या काष्ठपट्टीय ग्रंथ लिखने की परम्परा भी अति प्राचीन है। विगत 50 वर्ष पूर्व तक विद्यालयों में विद्यार्थी का सुलेख सुधारने के लिए काष्ठपट्टी पर काली स्याही से लिखाई करने का रिवाज था। उसे मुल्तानी पाण्डुलिपि : प्रकार 99 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002693
Book TitleSamanya Pandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirprasad Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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