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और 600 सवारों का मनसब दिया था। यह राजा बलभद्र परमदानी थे । हमें बारहठजी की ढाणी (तुर्कियावास) में चारण गिरधरदास को 1857 बीधा ज़मीन दान में दिये जाने बाबत बलभद्र शेखावत का ताम्रपत्र रूड़दानजी के पास देखने को मिला है। ताम्रपत्र के दोनों ओर लिखावट है तथा पूर्णतः सुरक्षित है । 18 पंक्तियों के इस ताम्रपत्र का मूलपाठ इस प्रकार है
1. श्रीरामजी
2. राम: सही:
3. सिधी श्री महाराज श्री बलभद्र
4. जी दीवान वचनाथ मोजे गिरधरदा
5. स चारण नै ऊदीक गांव तुरकवास 6. दीयो परगनां कुल कसवैह हरसोल्ही 7. धरती बीध 1857 अंके बीध ओ 8. ठारै सै सतावन श्री परमेसर जी नीम
9. ती कर दीया सो नेरमीयल दीनु जो
10. कोई अहकी षेचल करै तो जहन जका ध 11. रम की सो छै हिदुनै हींद्वा का धरम की सो 12. छै मुसलमान न मुसलमान का धरम 13. की सो छ सीरलोक अपदा.... ते 14. मेटंत वासंधरात नरा नरके ज.... तौ 15. लग चंद दबाकर संवत् (10657) को
16. मिती बैसाष सद 12 दसकत
17. हरबस कायथ का हुकम हजुर 18. लषौ
बादशाह अकबरकालीन इस ताम्रपत्र में लिपि विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए अनेक महत्वपूर्ण सूचनाएँ मिल सकती हैं । इसी प्रकार शाहजहाँकालीन वि.सं. 1704 (सन् 1647 ई.) का महाराज राजसिंह, नारायणपुर तथा राजा विजयसिंह (नारायणपुर) का संवत् 1767 (सन् 1710 ई.) का ताम्रपत्र भी देखने को मिला' । 1. तोरावाटी का इतिहास : डॉ. महावीर प्रसाद शर्मा, द्वि संस्करण 2001, पृ. 158-160 1
सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान
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