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लिप्यासन के आधार पर पाण्डुलिपि प्रकार
कठोर लिप्यासन, (उत्कीर्ण करने हेतु )
लेखनी
लिखित
1
12
3
14
15
6
7
पाषाणीय मृण्मय सीप - दाँतिकी ताम्रपत्रीय स्वर्णपत्रीय रजतपत्रीय | अन्य धातुओं की (प्रस्तरांकित )
क
तोड़
पत्रीय
ख
ग
भोज --
अगरुपत्रीय
पत्रीय ( या समूचीपत्रीय) (वस्त्र पर)
धातु - शलाका कोरित
क
ख
चट्टानीय शिलापट्टीय
घ
पेटीय
कोमल लिप्यासन (लेखन हेतु)
1. कठोर लिप्यासन
कठोर लिप्यासन पर उकेरी गई या खोदी गई पाण्डुलिपियाँ सामान्यतः 7 प्रकार की बताई गई हैं । इनके भी अनेक भेद हैं । इन प्रकारों के भी निम्न प्रकार हैं
1. पाषाणीय (शिलालेखादि )
स्तम्भीय
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च
छ
चर्मपत्रीय काष्ठीय कागजीय
घ
मूर्तीय
(क) चट्टानीय : पहाड़ की कठोर चट्टानों पर उत्कीर्ण ग्रंथों को चट्टानीय पाण्डुलिपि कहा जाता है। सन् 1170 ई. में उत्कीर्ण 'उन्नत शिखर पुराण' (दिगम्बर जैन समुदाय की कृति) राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया गाँव की चट्टान पर खुदा हुआ है ।
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अन्य
(ख) शिलापट्टीय : प्राचीनकाल में शिलापट्टों पर लेख उत्कीर्ण किये जाने के अनेक उदाहरण मिलते हैं। ऐसा ही एक विस्तृत लेख राणा कुम्भा के समय में मेवाड़ के कुम्भलगढ़ के कुंभि-स्वामिन् या मामादेव के मन्दिर में पाँच शिलापट्टों पर खुदवाकर लगाए गये थे । इसी प्रकार मेवाड़ के ही राजसमुद्र
पाण्डुलिपि: प्रकार
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